Thursday, July 31, 2025
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करवा चौथ की पूजा कैसे करें करें, क्या है चांद निकलने का समय?

करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इस बार करवा चौथ पर शिव योग और सर्वार्थ सिद्ध योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ और सौभाग्यशाली बनाता है।

व्रत की शुरुआत और तैयारी:

करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सवेरे जल्दी उठने से होती है। महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं, जो उनकी सास द्वारा तैयार किया जाता है। सरगी में फल, मिठाई और ड्राई फ्रूट्स होते हैं, जिन्हें व्रत करने वाली महिला सूर्योदय से पहले खा सकती है। इसके बाद, महिलाएं निर्जला व्रत (बिना पानी का व्रत) रखती हैं, जिसमें दिनभर कुछ भी खाना-पीना वर्जित होता है।

पूजा और संकल्प:

इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर महिलाएं पूजा करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। व्रत का संकल्प लेने के लिए जल हाथ में लेकर भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे उनके पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखें। इस दिन लाल रंग के कपड़े और सोलह श्रृंगार को धारण करना शुभ माना जाता है।

शाम की पूजा और मुहूर्त:

शाम के समय करवा चौथ की पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 बजे से 7:02 बजे तक है, यानी 1 घंटा 16 मिनट। महिलाएं इस समय के दौरान कथा सुनती हैं और मां पार्वती से अपने पति के दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं।

चंद्रोदय का समय:

व्रत का समापन चंद्रोदय के बाद होता है, जब महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करती हैं। इस वर्ष चंद्रोदय का समय 7:54 बजे है, लेकिन यह समय शहर के अनुसार थोड़ा अलग हो सकता है।

विशेष समय और तिथियां:

  • सरगी का समय: सुबह 4:30 बजे
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: सुबह 6:46 बजे (20 अक्टूबर)
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: सुबह 4:17 बजे (21 अक्टूबर)

व्रत का महत्व:

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है बल्कि यह प्रेम और समर्पण की मिसाल भी है। महिलाओं का यह त्याग और निष्ठा उनके रिश्ते की मजबूती और दीर्घायु की कामना के रूप में प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाता है।

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